Friday, April 8, 2011

देश को ज्ञानवान शिक्षक चाहिए। ऐसे शिक्षक जिनके साथ कक्षा में ज्ञान और शुद्धता भी साथ आए। प्राइमरी एजुकेशन में ज्ञानवान शिक्षकों की बहुत जरूरत है। अच्छे विद्यार्थियों को इस क्षेत्र में आगे आना चाहिए। यह कहना है कि मिसाइल मैन और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम का। डॉ. कलाम दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में ‘आरईआई डायमण्ड जुबली लेक्चर’ दे रहे थे। डीईआई में वे इससे पहले उन्होंने 1993 में दीक्षांत समारोह में भाषण दिया था।

पूर्व राष्ट्रपति ने दोपहर ठीक 12:55 मिनट पर डीईआई के कन्वोकेशन हॉल में प्रवेश किया। उन्होंने सबसे पहले प्राइमरी एजुकेशन पर बोलना शुरू किया। कहा कि 10वीं कक्षा में उनके शिक्षक थे सुब्रमण्यम अय्यर। उन्होंने ब्लैकबोर्ड पर ‘चिड़िया के उड़ने’ की तकनीकी बताई। इतने सरल तरीके से बताया कि बात उनके दिल में घर कर गई। यहीं से उनके एयरोनॉटिकल इंजीनियर बनने की राह प्रशस्त हो गई। देश को ऐसे ही शिक्षकों की जरूरत है। डॉ. कलाम बोले कि जब वे मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एयरनॉटिकल इंजीनियरिंग के छात्र थे तो उन्हें एक प्रोजेक्ट मिला था। उन्हें छह महीने में ‘लो लेवल अटैक एयरक्राफ्ट’ बनाना था। पाँच महीने में तरक्की शून्य रही। तब शिक्षक ने उन्हें बाकी चार हफ्तों में प्रोजेक्ट पूरा न करने पर स्कॉलरशिप से वंचित कर देने की चेतावनी दी। इसका असर यह हुआ कि उन्होंने बिना खाए, बिना सोए कई रातों काम किय। अपने सहपाठियों की मदद से दो सप्ताह में ही प्रोजेक्ट पूरा कर दिया।

टीम इण्डिया की जीत के पीछे भी ऐसी ही समर्पण और मेहनत है। देश खुशी मना रहा है लेकिन बहुत कम लोगों को इसके पीछे की कहानी पता होगी। इसके पीछे नेतृत्व क्षमता, युवा शक्ति, सीनियरों का अनुभव और कोच की ओर से कड़ी मेहनत शामिल है। उन्होंने कप्तान धोनी की तारीफ करते हुए कहा कि जब भी कोई प्राब्लम आई, वे परेशानियों के कैप्टन बन गए। छात्र भी मुश्किलों के कप्तान बनें। डॉ. कलाम ने छात्रों को गुरुमंत्र दिया-‘लड़ो और कभी मत रुको’। ठीक 2:12 बजे डॉ. कलाम की क्लास खत्म हुई।
कई बार दिलाई मानवसेवा की शपथ
मिसाइल मैन ने कई बार विद्यार्थियों को मानवसेवा की शपथ दिलाई। डॉ. कलाम पहले बोलते तो छात्र उन्हें दोहराते। उन्होंने विद्यार्थियों को कसम दिलाई कि वे अपने संस्थान, परिवार, समाज, देश और विश्व के अच्छे सदस्य बनेंगे। छात्रों से वे बोले कि हमेशा यह सोचिए कि आप दूसरों को क्या दे सकते हैं। शहर के नजदीकी ग्रामीणों को पढ़ाने पर भी यह काम पूरा हो सकता है। छात्र-छात्रएँ इसे बिना पैसे खर्च किए कर सकते हैं।
दयालबाग विवि की जमकर तारीफ
डॉ. कलाम ने दयालबाग विवि की तारीफ के पुल बाँधे। उन्होंने कहा कि यहाँ की शिक्षा में धर्म, विज्ञान और तकनीकी का मिश्रण है। देश को इसी की जरूरत है। उन्होंने जोर दिया कि काम की गुणवत्ता ही विश्वविद्यालय को महान बनाती है। वे बोले कि हमने आर्थिक, इन्फ्रास्ट्रक्चर, विज्ञान में बड़ी तरक्की कर ली है, लेकिन शांतिपूर्ण देश और समाज के लिए बहुत मेहनत करने की जरूरत है। गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान करनी होगी।
सॉरी, ट्रैफिक के कारण हो गया लेट
आगरा के जाम में मिसाइलमैन भी फंस गए। ठीक एक घण्टा देरी से पहुँचने पर उन्होंने विद्यार्थियों और शिक्षकों से माफी माँगी। कहा कि वे अस्त-व्यस्त ट्रैफिक में फंस गए। उन्होंने हंसते हुए कहा कि उनकी गाड़ी के आगे पता नहीं कहाँ से ढेरों जीपें चल रही थीं। धीमे-धीमे यहाँ तक आ सके हैं। नजदीक बैठे दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रो. वीजी दास भी मिसाइलमैन की इस साफगोई पर मुस्करा दिए।

चाचा कलाम की नसीहतें
-गाँव-शहर के बीच संचार बढ़ाने की कोशिश करें
-भ्रष्टाचार रहित समाज बनाने की कोशिश करते रहें
-देश को रहने का सबसे सुरक्षित, साफ स्थान बनाएँ
-क्लीन एनर्जी-ग्रीन प्लैनेट ही मकसद होना चाहिए
-दूसरों की सफलता पर खुश होना भी सीखना होगा
-सोचिए, राष्ट्रध्वज आपके दिल में हमेशा फहराता है
-समाज को अपना श्रेष्ठ देने वाला ही सम्पूर्ण व्यक्ति
-खुद श्रेष्ठतम बनो और दूसरों को भी श्रेष्ठ बनाओ

Reference from D E I Staf.